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मेरे मुँह में पूड़ी थी, ज्यादा बात करने की गुंजाइश न थी, इसलिए दाहिने हाथ की चार उँगलियाँ उठाकर गरदन हिलाते हुए मैंने कहा, “उँहूँ...एक बार नहीं, एक बार नहीं...” अब ...